छम्म सी पायलिया उसको लुभाए, घुंघरू की गुंजन से वो जाने क्यूँ घबराए ?
झाँसी की रानी सी आए, खौफ़ -ए-रुखसत दिखाये, छिछोरों की शामत आ जाए।
विश्रंभ की धनी यह लड़की पल-पल भ्रमित हो जाये, हालाँकि हाथ उठाये तो कुछ भी कर जाए।
इतराती सी वो, बार-बार शरमाये, अगर हस जाए, तो दिल जाने कितनों के ले जाए।
फ़ितरत की बात अब मैं क्या करूँ, सामने आये तो माहौल ख़ुशनुमा बना जाए।
वो सुन्दर, प्यारी सी लड़की, दिल में आए, तो कलम भी ये लिख जाए।
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